Rajeev Rawat

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लेखनी कहानी -10-Feb-2022

लेखनी वार्षिक प्रतियोगिता के लिए 

5.शतरंज की बिसात - - एक लेख
-------------------------राजीव रावत
            शतरंज का आविष्कार 6वीं शताब्दी के आसपास भारत में शुरू हुआ था। उस यह राजाओं, महाराजाओं का खेल हुआ करता था। शतरंज को दो खिलाड़ीयों के बीच खेला जाने वाला एक बौद्धिक एवं मनोरंजक खेल है। किसी अज्ञात बुद्धि-शिरोमणि ने पाँचवीं-छठी सदी में यह खेल संसार के बुद्धिजीवियों को भेंट में दिया।इसे चतुरंग के नाम से जाना जाता था।

                      शतरंज का खेल आपको प्लानिंग, विश्वास, अनुशासन भी सिखाता है। शतरंज खेलने वाले बच्चों के अंदर गणित और विज्ञान जैसे कठिन विषयों पर अच्छी पकड़ बन जाती है। जो व्यक्ति शरतंज खेलता है उसकी कैलकुलेशन अच्छी हो जाती है। इसके अलावा ये खेल गहराई से सोचने और खोज करने की प्रवृत्ति को बढ़ाने में सक्षम है, जिसमें आपके अंदर की कल्पना का विकास होता है। साथ ही क्या गलत है और क्या इसकी समझ भी इस खेल से मिलती है

एकाग्रता और फोकस को बढाता है -- शतरंज का खेल खेलने वाले व्यक्ति की एकाग्रता और फोकस करने की छमता अन्य की तुलना मैं बहुत अधीक होती है और यदि यह खेल छोटी उम्र मे खेला जाए तो इसके परिणाम चमत्कारिक होते है ।

यह फैसले लेने की क्षमता का विकास करता -- शतरंज व्यक्ति के सोचने की छमताओ को एक नये आयाम पर ले जाता है तथा साथ ही शतरंज बच्चे के फैसले लेने की छमता का भी विकास करता है 

प्लानिंग, विश्वास, अनुशासन सीखते है -- चेस खेलने से बच्चे अनुशासित बनते है और समय का सही उपयोज करना सीखते है 

चेस गहराई से सोचने और खोज करने की प्रवृत्ति को बढ़ाता है-- कल्पना का विकास होता है, जो भविष्य के बारे में सोचने की क्षमता को बढ़ाता है। क्या सही क्या गलत आगे क्या करना सही रहेगा, यह सोचते की क्षमता देता है ।
               जैसा कि कहा गया है कि शतरंज दिमाग का खेल है और इसमें मुख्य कार्य सामने वाले के राजा को अपनी चालों से मात देने का होता है और यह न केवल एक खेल है बल्कि संसार में अपने जीवन में लोग सफलता प्राप्त करने और दुश्मन को मात देने के लिए शतरंज की तरह ही बिसात बिछा देते हैं ताकि सामने वाले को अपनी चालों में फंसा कर मात दी जा सके।
               युद्ध क्षेत्र में रणनीति ऐसी ही बुद्धिमानी पूर्वक बनाई जाती है कि कौन कौंन से हथियारों को, कितनी सेना को कहां कहां रखना है ताकि दुश्मन अपनी लापरवाही से जाल में फंस जाये, रह भी शतरंज की एक बिसात की तरह ही होता है जैसे शतरंज में हर गोटी की चाल व दुश्मन के पियादों को मारने की क्षमता अलग अलग होती है और उनसे ही उसे ऐसी रणनीति बनानी पड़ती है कि उसे कम से कम नुकसान हो और दुश्मन को अधिक। यही होती है शतरंज की बिसात जो सेना नायक अपनी बुद्धि से फैलाता है और अपनी चालों से दुश्मन को परास्त कर देता है।
               इस प्रकार राजनीति में भी अपने प्रतिद्वंद्वी को भी साम, दाम, दंड-भेद की जीवन की शतरंज की बिसात से अपने जाल में बिछा कर मात दी जाती है।
*जिंदगी की एक गलती बाजी, हार में बदल देती है,
चाहे प्यार में दिलों का मेल हो या शतरंज का खेल हो जनाब*
                   शतरंज गहराई से सोचने और खोज करने की प्रवृत्ति को बढ़ाता है-- कल्पना का विकास होता है, जो भविष्य के बारे में सोचने की क्षमता को बढ़ाता है। क्या सही क्या गलत आगे क्या करना सही रहेगा, यह सोचते की क्षमता देता है ।
                   यह शतरंज कि बिसात जीवन के प्रत्येक पहलु पर सफलता के लिए अपने मौहरे स्थापित करना और कब, कैसे उपयोग करना है, सिखाती है और यह सिखाती है कि मनुष्य को धैर्य से, संयम से, पूर्ण सोच बिचार कर अपनी चालों को चलना चाहिए, जल्दी बाजी में उठाये कदमों से हार, असफलता ही मिलती है।
                    जीवन ही शतरंज की बिसात की तरह है, जिसमें आपको हाथी की तरह सीधा मारना, ऊंट की तरह तिरछा मारना और घोड़े की तरह ढाई घर की छलांग लगाना तथा बजीर की तरह चारों और ध्यान रखने की आवश्यकता है तभी राजा को यानि ध्येय को प्राप्त या बचाया  जा सकता है।
                    याद रखिए शतरंज की बिसात की तरह जीवन में   आपका धैर्य, एकाग्रता, दुश्मन की चाल पहचानने की शक्ति और सही निर्णय लेने की क्षमता यदि खोई या भ्रमित हुई तो पैदल भी राजा को मात दे सकता है। अत: कभी भी लापरवाही नहीं होना चाहिए।
                   
किसी ने क्या खूब लिखा है--

बिछा दी शतरंज की बिसात बना के इन्सान तूने खुदा, 
कोई सिपाही कोई वजीर बस एक जगं सी छेड़ दी तूने

किसी को ताज देकर और फिर किसी से ताज लेकर
किसी की किस्मत बिगाड़ी और किसी की फेर दी तूने, 

कहीं सहरा को भी समन्दर बना कर तूने शान है बख्शी, 
और कहीं उम्मीदें बना कर, बडी शिद्दत से ढेर की तूने

मदद तो हर जरूरतमंद की तू करता है मेरे रहबर मगर, 
कहीं जल्दी बहुत ही की और कहीं बहुत ही देर की तूने

तू खुदा है तू बड़ा है, तू जो चाहे बस वो ही कर रहा है, 
न खत्म की रात मेरी न ही मेरे हिस्से की सवेरा की तूने
                                        राजीव रावत 

     लेखनी वार्षिक प्रतियोगिता के लिए   

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1 Comments

Seema Priyadarshini sahay

15-Feb-2022 05:10 PM

आपके लेखों के जवाब नहीं सर

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